महेंद्र सिंह तोमर
देश का पहला वैटलैंड संरक्षण रिज़र्व इन दिनों खास विदेशी मेहमानों की मेहमान नवाजी में जुटा है, ये मेहमान हैं हजारों मील का सफ़र तय करके यहाँ पहुंचे प्रवासी साइबेरियन बर्डस।जो कि इन दिनों पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बने हुए है। देहरादून शहर से महज 48 किलोमीटर की दूरी पर विकासनगर के ढालीपुर में स्थित देश के इस पहले आसन वैटलैंड कंजर्वेशन रिज़र्व झील में विदेशी मेहमानों ने दस्तक देनी शुरू कर दी है, ये मेहमान हैं हजारों मील की दूरी तय कर साइबेरिया, चीन, रूस, साउथ एशिया और कजाकिस्तान जैसे देशों से आये खास प्रजाति के पक्षी। ये पक्षी हर साल सर्दियों के मौसम में कठिन सफ़र को तय कर यहाँ पहुँचते हैं।
हालाँकि देश में ये कई स्थानों में प्रवास करते हैं, लेकिन आसन वैटलैंड सरक्षण रिज़र्व इन विदेशी पक्षियों की सबसे पसंदीदा जगह है। यही वज़ह है कि पूर्व राष्ट्रपति ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के हाथो इसे 2005 में देश का पहला वैटलैंड सरक्षण रिज़र्व बंनने का गौरव मिला। 440 हैक्टेयर में फैले इस कंजर्वेशन रिज़र्व में हर साल 7000 से 8000 पक्षी आते हैं। खास बात यह कि इसी खासियत के चलते इस जगह को देशा विदेश के खास स्थानों जगह देनी वाली रामसर साइड्स में जगह मिली है। इस साल आसन झील में अभी तक विभिन्न प्रजाति के 1000 से अधिक पक्षी देखे जा चुके हैं।जिनका दीदार करने दूर दराज से पर्यटक यहां पहुंचते हैं और विदेशी पक्षियों का दीदार करने के साथ ही आसन झील में बोटिंग का लुत्फ उठाते हैं।
राहुल कुमार, पर्यटक नीतू, पर्यटक
विदेशी पक्षियों की आमद ने जहाँ एक और पर्यटकों को इस झील की और आकर्षित किया है, वही वन विभाग की जिम्मेदारी में भी इजाफा कर दिया है। जिसके चलते वन विभाग विदेशी पक्षियों की सुरक्षा को लेकर एलर्ट मोड़ पर है , शिकार की सम्भावनाओ से लेकर पक्षियों के व्यवहार पर भी विभाग के कर्मचारियों की पैनी नजर है। विदेशी पक्षियों पर बारिकी से नजर रखने वाले वन दरोगा प्रदीप सक्सेना के मुताबिक हर साल यहाँ लगभग 60 से अधिक प्रजाति के विदेशी पक्षी प्रवास के लिए आते हैं, जिनमे सुरखाब ,सीखपर ,लाल चौंच , गुडगुडा ,कुर्चिया बत्तख , सुर्खिया बगुला , बड़ा पन्न्काउ
आ , बयारी बत्तख , मलग बगुला , करचिया बगुला जैसी तमाम प्रजातियां हैं जो ठंडे देशों से यहां पहुंचती है। इस पर भी यहां मुख्य प्रजातियों के पक्षियों के पहुंचने का सिलसिला जारी है, जिसमें खास तौर से विलुप्त प्रजाति फ्लास ईगल का एक मेल यहां पहुंचा है। बताया कि इन विदेशी पक्षियों की गतिविधियों पर नजर रखने के साथ ही इनके शिकार की संभावनाओं को देखते हुए वन विभाग की विभिन्न टीमों द्वारा विशेष निगरानी की जा रही है।