विकासनगर। त्रिस्तरीय पंचायत चुनावों के बीच एक अहम कानूनी मोर्चे पर फैसला सामने आया है। सहसपुर ग्राम सभा के निवर्तमान प्रधान अनीस अहमद को बड़ी राहत देते हुए अपर जिला न्यायाधीश नंदन सिंह की अदालत ने उनके खिलाफ पारित विहित प्राधिकारी के आदेश को विधिक रूप से अवैध करार देते हुए खारिज कर दिया। यह फैसला उस वक्त आया है जब प्रदेश भर में पंचायत चुनाव की सरगर्मी तेज है और स्थानीय नेतृत्व को लेकर आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है।
मामला क्या था?
2019 में हुए ग्राम पंचायत चुनाव में अनीस अहमद ने सहसपुर से प्रधान पद पर जीत हासिल की थी। चुनाव के कुछ समय बाद समीर अहमद नामक व्यक्ति ने उपजिलाधिकारी/विहित प्राधिकारी के समक्ष एक चुनाव याचिका दाखिल की, जिसमें अनीस अहमद के हाईस्कूल प्रमाण पत्र पर सवाल उठाए गए थे।
विहित प्राधिकारी ने 09 जुलाई 2024 को अनीस अहमद के खिलाफ आदेश पारित किया। इस आदेश को अनीस अहमद ने अपर जिला न्यायाधीश विकासनगर की अदालत में चुनौती दी।
क्या कहा अदालत ने?
अनीस अहमद की ओर से अधिवक्ता संदीप कुमार बर्तवाल ने तर्क दिया कि उक्त चुनाव याचिका नियत समयावधि 90 दिनों के भीतर दायर नहीं की गई, बल्कि लगभग 145 दिन बाद दाखिल की गई थी, जो कि उत्तर प्रदेश पंचायत राज नियमावली का स्पष्ट उल्लंघन है। इसी आधार पर अदालत ने याचिका को विधिक दृष्टि से समयबद्धता के उल्लंघन के चलते अस्वीकार्य मानते हुए, विहित प्राधिकारी के आदेश को खारिज कर दिया।
अनीस अहमद बोले – राजनीतिक साजिश थी
फैसले के बाद अनीस अहमद ने अदालत के प्रति आभार जताते हुए कहा कि “यह याचिका मेरे खिलाफ राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता और द्वेष भावना से दाखिल की गई थी। न्यायपालिका ने सच्चाई को पहचाना और मुझे न्याय मिला।”