उत्तराखंड राजनीती

गांवों को बदलने का संकल्प लेकर आए युवा और महिला प्रतिनिधि

मोइनूद्दीन खान

विकासनगर। प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की प्रक्रिया संपन्न हो चुकी है। गांव की सरकार अब तय हो चुकी है और जनता ने जिन्हें अपना नुमाइंदा चुना है, अब ज़िम्मेदारी निभाने की बारी उनकी है। इस बार के चुनावों में आरक्षण नीति और क्षेत्रीय परिस्थितियों ने मिलकर एक ऐसा रास्ता खोला जिसमें युवाओं और महिलाओं को नेतृत्व का अवसर मिला।

ग्राम पंचायतों से लेकर क्षेत्र पंचायतों और जिला पंचायत तक, इस बार कई नए चेहरे सामने आए हैं। इनमें से कई तो पहली बार इस प्रक्रिया का हिस्सा बने, मगर इनका विजन और उत्साह यह दर्शाता है कि गांवों में बदलाव की लहर अब और तेज़ होगी।

बदलाव की दिशा में प्राथमिकताएं स्पष्ट

चुनाव जीतने वाले अधिकांश युवा और महिला प्रतिनिधि गांव की मूलभूत सुविधाएं — बिजली, पानी, सड़क — को प्राथमिकता में रख रहे हैं, लेकिन साथ ही वे पारंपरिक मुद्दों से आगे बढ़ते हुए गांवों को डिजिटली सक्षम और आत्मनिर्भर बनाने की बात भी कर रहे हैं।

नव निर्वाचित प्रतिनिधियों की राय

“हमारा विजन साफ है क्षेत्र का डिजिटलाइजेशन करना है, क्षेत्र के विकास के साथ ही महिलाओं को भी सशक्त बनाना है। क्योंकि आज महिलाएं वोट देने या वोट पाकर घर बैठने वालों में से नहीं।”

प्रतिभा जोशी, नव निर्वाचित क्षेत्र पंचायत सदस्य मंगरौली

“आज का युवा पढ़ा लिखा है, वह बेहतर जानता है कि विकास योजनाओं को किस तरह धरातल पर उतारना है। क्षेत्र में कई मूलभूत सुविधाओं की कमी है, उनको पूरा करने का अथक प्रयास किया जाएगा।”
सुधांशु तोमर, नव निर्वाचित क्षेत्र पंचायत सदस्य हयोटगरी

“पूर्व के ग्राम प्रधान के कार्यकाल में जो कमियां रह गई है, उनको दूर करने के साथ ही। सरकार द्वारा संचालित महत्वाकांक्षी योजनाओं को गांव में लाकर लाभार्थियों को लाभ दिया जाएगा।’
संजिता शर्मा, नव निर्वाचित ग्राम प्रधान जिसऊ

“छात्र राजनीति से निकलकर जनसेवा की भावना से सक्रिय राजनीति में कदम रखा है। हमारा गांव आज दशकों बाद भी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरह रहा है। उनको पूरा करने के साथ ही शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार पर ध्यान दिया जाएगा।”
आशीष बिष्ट, नव निर्वाचित ग्राम प्रधान पपड़ियान

“गांव के लोगों ने आपसी भाईचारे का परिचय देते हुए मुझ पर जो भरोसा जताया है, उसका ध्यान रखते हुए गांव में सार्वजनिक बारातघर के साथ ही खेल मैदान की व्यवस्था की जाएगी। महिलाओं के लिए भी गांव में प्रशिक्षण केन्द्र स्थापित करने और उन्हें घर पर ही रोजगार मुहैया कराया जाएगा।”

विक्की कश्यप, नव निर्वाचित ग्राम प्रधान बैरागीवाला

“शंकरपुर गांव ब्लाक मुख्यालय से लगता हुआ गांव है, और आसपास औद्योगिक क्षेत्र भी है। मगर फिर भी गांव में सही ढंग से विकास नहीं हो पाया है। जिसको देखते हुए सरकार की कल्याणकारी योजनाओं को धरातल पर उतारते हुए गांव का विकास होगा और औद्योगिक इकाइयों के सीएसआर फंड के सहयोग से गांव की तस्वीर बदलने का प्रयास होगा।”
शहजाद अली, नव निर्वाचित ग्राम प्रधान शंकरपुर-हकुमतपुर

“राज्य व केंद्र सरकार द्वारा संचालित योजनाओं से कुछ क्षेत्र और पात्र व्यक्ति अब भी वंचित हैं, जिन तक इन योजनाओं का लाभ पहुंचेगा। साथ ही गांव में पेयजल की लम्बे समय से समस्या बनी हुई है, जिस पर सबसे पहले काम होगा।”
पुष्पा चौहान, नव निर्वाचित ग्राम प्रधान भाऊवाला

स्थानीय प्रशासन की भूमिका भी अहम

जनप्रतिनिधियों के विजन को धरातल पर उतारने में ब्लॉक स्तर से लेकर जिला प्रशासन की भूमिका बेहद अहम मानी जा रही है। कई क्षेत्रों में पहले से लंबित योजनाओं को नए प्रतिनिधियों के सक्रिय हस्तक्षेप से गति मिलने की उम्मीद है।

नए जनप्रतिनिधियों की सोच और उत्साह दर्शाता है कि यह चुनाव सिर्फ सत्ता परिवर्तन नहीं बल्कि ग्रामीण भारत के भविष्य को लेकर एक उम्मीद की किरण है। यदि इन विजनरी जनप्रतिनिधियों को संसाधनों और प्रशासनिक सहयोग की पर्याप्त सुविधा मिलती है, तो आने वाला समय निश्चित ही गांवों को आत्मनिर्भर और समृद्ध बना सकता है।

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